लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन
अंतिम भाग
हनी सिंह के अदालत में फूट फूटकर रोने से अदालत का माहौल एकदम बदल गया । लोगों की सुहानुभूति उसके साथ हो गई । इस पर हीरेन दा ने कहना शुरू किया
"योर ऑनर, हनी सिंह जैसे अनेक मासूम निर्दोष लोग काम वासना से ग्रसित और कुंठित मानसिकता में डूबी हुई स्त्रियों के चंगुल में फंसकर उनकी वासना पूर्ति का साधन भर बनकर रह जाते हैं । इन जैसे लोगों की जवानी का दुरूपयोग ये आधुनिक स्त्रियां अपने "चरमसुख" के लिए करती रहती हैं और हनी सिंह जैसे मासूम लोगों को वासना का पुजारी और कातिल तक बना देती हैं । इसलिए इस कत्ल में न केवल हनी सिंह दोषी है अपितु रीमा , कान्ता जैसी समस्त व्यभिचारी औरतें भी दोषी हैं । हनी सिंह ने स्वयं बताया है कि उसके 21 महिलाओं के साथ संबंध हैं । इनमें से कुछ के पतियों का कत्ल हो गया है इसलिए उन महिलाओं के नाम पता चल गये हैं लेकिन शेष महिलाओं के नाम अभी पता नहीं चल पाए हैं । हम इस अदालत में उनके नाम उजागर कर उनका सार्वजनिक अपमान करना भी नहीं चाहते हैं । लेकिन इस अदालत के माध्यम से यह संदेश जरूर देना चाहते हैं कि जीवन में आत्मसंयम रखना बहुत आवश्यक है । प्रभु ने जितना दिया है उसमें संतोष करना होगा अन्यथा अधिक पाने के लालच में जो अभी है, उससे भी हाथ धोना पड़ सकता है । सारा केस अब अदालत के समक्ष बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है अत: विधि के प्रावधानों के अनुसार अपराधियों को उचित दंड दें जिससे समाज से अपराध कम हों" । कहकर हीरेन मीना के पास आकर बैठ गया ।
जज साहब थोड़ी देर तक इस पर मनन करते रहे फिर हनी सिंह से बोले "और तो सारी बातें समझ में आ गई । जिन पतियों ने तुम्हें अपनी पत्नी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा था, तुमने उनका कत्ल कर दिया । समीर का कत्ल आत्मरक्षार्थ किया गया था । लेकिन एक बात समझ में नहीं आई कि तुमने "आनंदम सोसाइटी" के अध्यक्ष श्याम अग्रवाल का कत्ल क्यों किया था ? उनके न तो कोई पत्नी थी और न ही कोई पुत्री , फिर कत्ल क्यों हुआ उनका" ?
जज साहब के प्रश्न पर हनी सिंह ने सिर उठाकर जज साहब की ओर देखा और धीरे धीरे कहने लगा ।
"मैं पहले ही कह चुका हूं योर ऑनर कि मेरे 21 महिलाओं से संबंध बन गये थे । उन महिलाओं की प्यास बुझाने में ही मेरा अधिकतर समय बीतने लगा था । इस चक्कर में मैं कोई काम नहीं कर पाता था । मैं जिस "आनंदम" सोसाइटी में प्लंबर का काम करता था उसमें मेरी शिकायतें बहुत होने लगीं थीं । मैं समय पर शिकायतों का निवारण नहीं कर पाता था । कुछ और महिलाऐं भी मुझसे संबंध बनाना चाहती थीं मगर मैंने इन्कार कर दिया था इसलिए वे मुझसे नाराज हो गई और उन्होंने सोसाइटी के अध्यक्ष से मेरी खूब शिकायतें कर दीं ।
एक दिन अध्यक्ष महोदय ने मुझे अपने घर बुलाया । उनके घर पर वे सभी औरतें मंजूद थीं जिन्हें मेरे काम से शिकायतें थीं और वे भी औरतें मौजूद थीं जो मुझसे संबंध बनाना चाहती थीं पर जिन्हें मैंने मना कर दिया था । उन सभी औरतों के सामने अध्यक्ष महोदय ने मुझे जमकर डांट लगाई थी । इससे उन औरतों को बड़ा आनंद आया और मैं जल भुन कर राख हो गया था । ऐसे में मैंने तय कर लिया था कि अध्यक्ष महोदय को यमलोक की सैर करानी ही पड़ेगी । कल का दिन तय किया था उनका कत्ल करने के लिए । मैंने इसके लिए सारी व्यवस्था कर दी थी और कत्ल भी कर दिया था पर उसे गाड़ते हुए आप सब लोगों ने पकड़ लिया था । बाकी बातें तो आप जानते ही हैं" । कहकर हनी सिंह चुप हो गया ।
अब सबकी निगाहें जज साहब पर अटकी हुई थीं । सबके मन में उत्सुकता थी कि देखें अब जज साहब क्या फैसला देते हैं ? अदालत में खामोशी व्याप्त हो गई थी ।
जज साहब ने पूरी पत्रावली पढी और समस्त दस्तावेजों तथा बयानों का अवलोकन करने के पश्चात जज साहब बोले
"यह बात सही है कि सरकारी वकील ने समीर के कत्ल के लिए सक्षम, अनुपमा और अक्षत को दोषी सिद्ध करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये हैं जबकि सक्षम, अनुपमा और अक्षत ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किये हैं उनसे स्पष्ट है कि ये तीनों लोग 31 मई की रात अपने मकान में नहीं थे और इस कत्ल में किसी भी रूप से लिप्त नहीं थे । सरकारी गवाह सुभाष और रुस्तम भाई झूठे गवाह थे जो थानेदार मंगल सिंह ने अदालत में सक्षम को फंसाने के लिए तैयार किये थे । अत: सक्षम , अनुपमा और अक्षत को बाइज्जत बरी किया जाता है । इन तीनों को समस्त आरोपों से मुक्त भी किया जाता है ।
अब बारी आती है हनी सिंह उर्फ मधु सिंह की । यह सही है कि हनी सिंह एक मासूम युवक था पर अब वह मासूम नहीं है । अब वह एक खूंखार अपराधी बन गया है । जैसा कि उसने बताया है कि उससे अभी भी बहुत सी स्त्रियां संबंध बनाने के लिए तैयार हैं । ऐसी स्थिति में हनी सिंह का जीवित रहना समाज के लिए हानिकारक है । उसने स्वयं स्वीकार कर लिया है कि उसने समीर का कत्ल किया है । उसने कल्पेश, संजय मूंदड़ा , डॉक्टर निर्मल जैन , सलीम , राहुल और श्याम अग्रवाल का भी कत्ल किया है । इसलिए वह भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत अपराधी है । अत : हनी सिंह को फांसी की सजा सुनाई जाती है । हनी सिंह को मरते दम तक फांसी पर लटकाया जाय ।
हनी सिंह के साथ साथ करिश्मा, सविता मूंदड़ा , डॉक्टर मोनिका जैन, प्रियंका बिजलानी ,रीमा और कान्ता बाई भी षड्यंत्र में शामिल होने के लिए , सबूत मिटाने के लिए दोषी हैं । अत: इन्हें प्रत्येक को 7 वर्षों के लिए कठोर कारावास की सजा दी जाती है ।
हीरेन दा ने अपनी टीम के सहयोग से इस जटिल केस को जिस तरह सुलझाया है इससे मैं अति प्रसन्न हूं । अत: मैं इन्हें अपनी ओर से यह एक "गोल्डन पैन" भेंट में प्रदान करता हूं ।
थानेदार मंगल सिंह ने पद पर रहते हुए जो अनुचित कृत्य किया है इसके लिए मैं सरकार को निर्देश देता हूंकि वह इन्हें तुरंत बर्खास्त करे और इस पर मुकदमा चलाकर इसे कड़ी से कड़ी सजा सुनाई जाये ।
जज साहब के फैसले से सभी लोग खुश हो गये और फिर अपने अपने घर को चले गये । मीना हीरेन के साथ चली गई ।
(दोस्तो, आपको यह रचना कैसी लगी ? कमेंट करके अवश्य बतायें और यदि इसमें कोई कमी पायें तो उसे भी बताऐं । पूरी रचना को पढने के लिए बहुत बहुत आभार आपका ?
श्री हरि
4.7.23
Abhinav ji
05-Jul-2023 08:43 AM
Very nice 👍 bahut hi rochak Rahi Puri kahani
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Hari Shanker Goyal "Hari"
05-Jul-2023 09:33 AM
पूरी कहानी पढने और मेरा उत्साह वर्धन करने के लिए हार्दिक अभिनंदन आपका आदरणीय 💐💐🙏🙏🙏
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